आर्थिक सर्वे में वित्त वर्ष 2019-20 में देश की विकास की रफ्तार 7 फीसदी रहने का अनुमान

रिपोर्ट: Ramesh Pandey

मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का पहला बजट शुक्रवार को पेश होना है| इससे एक दिन पहले राज्यसभा और लोकसभा में आर्थिक सर्वे पेश कर दिया गया है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने राज्यसभा में इसे सदन के पटल पर रखा। दरअसल, आर्थिक सर्वे देश की आर्थिक दशा की तस्वीर होती है। इस बार के आर्थिक सर्वे में वित्त वर्ष 2019-20 में देश की विकास की रफ्तार 7 फीसदी रहने का अनुमान जाहिर किया गया है जिसका मतलब यह है कि भारत दुनिया में सबसे तेज गति से आगे बढ़ता रहेगा। इससे आगामी वित्त वर्ष के लिए नीतिगत फैसलों के संकेत भी मिले हैं| आर्थिक सर्वे में कहा गया है कि भारत की औसत वृद्धि दर 2015-15, 2017-18 में न केवल चीन से बल्कि कई बड़ी अर्थव्यवस्था से भी ज्यादा रही थी।

आर्थ‍िक सर्वे में कहा गया है कि वित्त वर्ष 2018-19 में वित्तीय घाटे में कमी आई है और यह जीडीपी के सिर्फ 3.4 फीसदी रहा, जबक लक्ष्य 3.3 फीसदी तक लाने का था| देश की आय की तुलना में ज्यादा खर्च के अंतर को राजकोषीय घाटा कहा जाता है। आर्थिक सर्वे के अनुसार अगर भारत को 2025 तक 5 ट्रिलियन की अर्थव्यवस्था बनाना है तो लगातार जीडीपी में 8 फीसदी की ग्रोथ रफ्तार हासिल करनी होगी|

आर्थिक सर्वे में कहा गया है कि रिजर्व बैंक के मौद्रिक नीति उपायों से लोन के ब्याज दरों में कटौती करने में मदद मिलेगी| इसी तरह निवेश दर में जो कमी आ रही थी, वह भी अब लगता है कि रुक जाएगी| जनवरी से मार्च तिमाही में जीडीपी ग्रोथ में गिरावट पर आर्थ‍िक सर्वे में कहा गया है कि यह चुनाव संबंधी अनिश्चितता की वजह से था|

इसके अलावा पिछले वित्त वर्ष में कम ग्रोथ होने की एक वजह एनबीएफसी संकट भी है| गौरतलब है कि मार्च तिमाही में जीडीपी में बढ़त महज 5.8 फीसदी थी| खेती के मामले में एक चिंताजनक बिंदु उठाते हुए इकोनॉमिक सर्वे में कहा गया है कि खाद् वस्तुओं के दाम कम होने की वजह से शायद किसानों ने वित्त वर्ष 2018-19 में पैदावार कम किया है. हालांकि, यह भी कहा गया है कि साल 2018 की दूसरी छमाही से ही ग्रामीण क्षेत्रों की अर्थव्यवस्था में बढ़त आनी शुरू हो गई है.

सर्वे के अनुसार पिछले पांच साल में जीडीपी ग्रोथ औसतन 7.5 फीसदी रहा है. आर्थ‍िक सर्वे में कहा गया है कि बैंकों के गैर निष्पादित परिसंपत्त‍ि (NPA) में कमी आने की वजह से पूंजीगत व्यय चक्र को बढ़ाने में मदद मिलेगी. लगातार एनपीए में कमी आ रही है, जिसका फायदा अर्थव्यवस्था को मिलेगा. सर्वे में कहा गया कि स्थ‍िर वृहद आर्थिक दशाओं की वजह से इस साल अर्थव्यवस्था में स्थिरता रहेगी. हालांकि यह भी कहा गया है कि अगर ग्रोथ में कमी आई तो राजस्व संग्रह पर चोट पड़ सकती है|

हालांकि, सर्वे कुछ चुनौतियां भी सामने रखता है. जैसे कि वित्तीय घाटे के मोर्चे पर 2019-20 में कुछ चुनौतियां हो सकती हैं| जिस तरह का प्रचंड बहुमत सरकार को देश की जनता ने दिया है, उसकी वजह से अर्थव्यवस्था को बढ़ाने की कई चुनौतियां हैं|

आर्थ‍िक सर्वे में कहा गया कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल की कीमतों में कमी आ रही है, जिसकी वजह से इस वित्त वर्ष में पेट्रोल-डीजल की कीमतों में कमी आ सकती है| आर्थिक सर्वे के मुताबिक डायरेक्ट टैक्स कलेक्शन में 13.4 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई है, जबकि कॉर्पोरेट टैक्स कलेक्शन भी बेहतर हुआ है। हालांकि इनडायरेक्ट टैक्स कलेक्शन में बजट अनुमान 16 प्रतिशत की तुलना में कमी आई है। इसका कराण GST रेवेन्यू में कमी है। आर्थिक सर्वे के अनुसार कामकाजी आयु वर्ग की आबादी हर साल करीब 97 लाख बढ़ने का अनुमान है जबकि 2030 से कामकाजी आयु वर्ग के लोगों की संख्या हर साल 42 लाख बढ़ने का अनुमान है। आर्थिक सर्वे में भविष्य में गंभीर जल संकट की ओर इशारा किया गया है। 2050 तक भारत में पानी की किल्लत एक बड़ी समस्या होगी। सर्वे में कहा गया है कि सिंचाई जल पर तुरंत विचार करने की जरूरत है ताकि कृषि की उत्पादकता बढ़ सके। 

 

 


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