ऑटो उद्योग के सुझाव माने तो सस्ते होंगे कार, टू व्हीलर

रिपोर्ट: साभारः

नई दिल्ली। केंद्र सरकार को अगर ऑटो उद्योग का सुझाव पसंद आया तो टू व्हीलर और कारें सस्ती हो सकती हैं। वाहन उद्योग ने आगामी आम बजट में चेसिस, ऑटो पा‌र्ट्स और एक्सेसरीज पर उत्पाद शुल्क में कटौती की सलाह दी है। केंद्र अगर इस दिशा में कदम उठाता है तो पिछले कुछ वर्षो से आर्थिक सुस्ती की मार झेल रहे ऑटो क्षेत्र को भी राहत मिलेगी। उद्योग चैंबर सीआइआइ ने हाल में वित्त मंत्री अरुण जेटली के साथ बजट-पूर्व चर्चा के दौरान ऑटो सेक्टर को सुस्ती से उबारने के लिए छह सूत्रीय योजना सुझाई। सीआइआइ ने घरेलू ऑटो इंडस्ट्री को संरक्षण देने के लिए कारों, एमयूवी और दोपहिया वाहनों के आयातित कंप्लीट बिल्ड यूनिट (सीबीयू) पर आयात शुल्क की मौजूदा दरों को बरकरार रखने की मांग की है। नई कारों के सीबीयू पर फिलहाल 60 से 100 प्रतिशत आयात शुल्क लगता है। दोपहिया वाहनों पर यह शुल्क 60 से 75 प्रतिशत है। इसके अलावा ऑटो उद्योग ने एंबुलेंस के चेसिस पर उत्पाद शुल्क मौजूदा 24 से घटाकर आठ प्रतिशत करने तथा सभी मोटर वाहनों पर लागू एक प्रतिशत एनसीसीडी (राष्ट्रीय आपदा आपात शुल्क) को हटाने की मांग भी की है। उद्योग जगत ने इलेक्टि्रक व हाइब्रिड वाहनों में इस्तेमाल होने वाले विशेष कलपुर्जो पर भी शून्य सीमा शुल्क तथा छह प्रतिशत सीवीडी (काउंटर वेलिंग ड्यूटी) की मौजूदा व्यवस्था को 2020 तक जारी रखने की मांग भी की है। उद्योग जगत के प्रतिनिधियों का कहना है कि यह उपाय करने पर नेशनल इलेक्टि्रक मोबिलिटी मिशन के लक्ष्यों को हासिल करने में मदद मिलेगी। चालू वित्त वर्ष 2014-15 के अंतरिम बजट में सरकार ने वाहनों पर उत्पाद शुल्क में कटौती की थी। यह रियायत बीते 31 दिसंबर को खत्म हो चुकी है। सियाम ने अनुमान घटाया सोसाइटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्यूफैक्चरिंग (सियाम) ने चालू वित्त वर्ष में यात्री वाहनों की बिक्री में वृद्धि के अनुमान को चार से घटाकर एक प्रतिशत कर दिया है। दिसंबर में यात्री वाहनों में 12.41 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी। ऑटो क्षेत्र की वृद्धि दर बीते कुछ वर्षो में काफी धीमी रही है। ऐसे में आम बजट में उपायों से ही इस क्षेत्र की स्थिति सुधरने की उम्मीद है।


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